मेरी निगाहो में जो अश्क़ो का एक समंदर है
ना जाने कितने दर्द के भंवर इस के अंदर है
पल मे तूफ़ान निगाहो मे थम जाते है, इस के
जब भी सामने आता तेरे चहेरे का मंजर है
मैंने हालात को भी हद से गुजरते देखा है
वक़्त बनता है कभी मरहम तो कभी खंजर है
प्यार की बात तुम क्या करते हो दोस्त
दिल् है जो हरा बाहर से, भीतर तो बंजर है
भीड़ मे भी तन्हाई से गुफ्तगू होती रही है
यह कैसा चारो ओर महफ़िलो का बवंडर है
खुदफरेबी ही खुदफरेबी है दुनिया सारी यहाँ
दुआ को उठने वालो हाथो मैं भी खंजर हे
ना जाने कितने दर्द के भंवर इस के अंदर है
पल मे तूफ़ान निगाहो मे थम जाते है, इस के
जब भी सामने आता तेरे चहेरे का मंजर है
मैंने हालात को भी हद से गुजरते देखा है
वक़्त बनता है कभी मरहम तो कभी खंजर है
प्यार की बात तुम क्या करते हो दोस्त
दिल् है जो हरा बाहर से, भीतर तो बंजर है
भीड़ मे भी तन्हाई से गुफ्तगू होती रही है
यह कैसा चारो ओर महफ़िलो का बवंडर है
खुदफरेबी ही खुदफरेबी है दुनिया सारी यहाँ
दुआ को उठने वालो हाथो मैं भी खंजर हे
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