Saturday, December 5, 2015

मुझे ज़िन्दगी से कुछ भी गिला नहीं

मुझे ज़िन्दगी से कुछ भी  गिला नहीं 
सिवा अश्कों के कुछ भी मिला नहीं 

महोब्बत बेपनाह की थी  उसने मगर  
मिला वफाओका  कुछ भी सिला नहीं 

उसने दिल के गुलशन मै प्यार बोया था  
पर फूल जैसा कुछ भी खिला  नहीं 

उसे  इन्तज़ार था तेरे आने का इतना 
वोह  चौखट से  अब तक  हीला  नहीं 

मौत  आ  गयी  लेने वही  खड़े खड़े 
आँखों  का कोना  हुआ  गिला  नहीं 

तेरी महोबत की ही  वो खुमारी  थी 
आशिक किसी  को ऐसा मिला  नहीं 

---मनीष