Friday, November 8, 2019

Meri aankkho me jo chhuupe savaal hain

Meri aankkho me jo chhuupe savaal hain
Mahobbat ka teri hee woh malaal hain

Na tumhe chhoo ke gujre gham koii kabhi
Meri sab rehmato me yeh khayaal hai

Mukammal ho gayi kyun phir ghazal meri
Tune jo padh liyaa us ka kamaal hai

Terii hii bewafaayi ka sila hai yeh
Mujhe ashqon se jo itna vishaal hai

Ameerii sab gayi gurbat lo aa gayi
Judaa tum ho gaye tab se yeh haal hai

Tabassum hee tera hai apni jindagii
Tere bin yun to jinaa bhi muhaal hai

Zamana jo puchhe gar kyaa ye ishq hai
Mahobbat hee hamaari ek mishaal hai

Monday, April 4, 2016

तेरे चहेरे को जो गुलाब लिखता हूँ

तेरे चहेरे को जो गुलाब लिखता हूँ
मैं  एक हसीं सा ख्वाब लिखता हूँ

चाँद -तारे सभी  देख  इतराने लगे
मैं झमीं का तुझे महताब लिखता हूँ 

जो लिखे थे खत तूने बरसो पेहले 
उन का ग़ज़लों में जवाब लिखता हूँ 

इश्क़ मुझ को दगा देता रहा

इश्क़ मुझ को दगा देता रहा
खुद को में होसला देता रहा

दर्द मुझ को मिले जो गैरो  से
फिर भी सब को दुआ देता रहा

थी महोब्बत मुझे  बेइंतिहा
बेवफा को वफ़ा देता रहा

ज़ख्म सब फूल बन गये, तेरी
खुशबू की  हवा देता रहा

दर्द हद से बढ़ा मेरा कभी
हंसी की मैं दवा देता रहा

उम्रभर इन्तजार था तेरा
 कब्र से मैं सदा देता रहा

तू न आई नसीब था मेरा
रूह को यह वजा  देता रहा

ग़म तुझे कोई भी न छू शके
उन को अपना पता देता रहा


अश्क बहते रहे निगाहो से
 इश्क़ का फलसफा देता रहा

मनिष आचार्य - मनु -04 -04 -2016

Sunday, April 3, 2016

दिल मेरा अश्क़ का दरिया हो गया

एक मतला पेश करता हूँ मुलायजा फरमाइएगा ,
बहर-ए -रमल मुसदस सालिम  २१२२/११२२/११२

दिल मेरा अश्क़ का दरिया हो गया
कोई भीतर मेरे इतना रो गया

दिल की बंजर ज़मीं पर दोस्त मेरा
प्यार के कितने पोधे तू  बो गया

रूह को चैन मेरी मिल ही गया
कब्र मे साथ मेरे वो सो गया

रूह को सुकूं हुआ तब मेरी, जब
प्यार जाने कहा मेरा खो गया


Tuesday, March 29, 2016

मेरी निगाहो को तेरे चहेरे का हरदम वो मंजर चाहिए

मेरी निगाहो को तेरे चहेरे का हरदम वो  मंजर चाहिए
मुझे जीने के लिए  तेरी खूबसूरती का  समंदर चाहिए 

Monday, March 28, 2016

मेरी निगाहो में जो अश्क़ो का एक समंदर है

मेरी निगाहो में जो अश्क़ो का एक समंदर  है
ना जाने कितने दर्द के भंवर इस के अंदर  है

पल मे तूफ़ान निगाहो मे थम जाते है, इस के
जब भी सामने आता तेरे चहेरे का मंजर है

मैंने हालात को भी  हद से गुजरते  देखा  है
वक़्त बनता है कभी मरहम तो कभी खंजर है

प्यार की बात तुम क्या करते हो दोस्त
दिल् है जो  हरा बाहर से, भीतर तो बंजर  है

भीड़ मे भी तन्हाई से गुफ्तगू  होती रही है
यह कैसा चारो ओर  महफ़िलो का बवंडर है

खुदफरेबी ही खुदफरेबी है दुनिया सारी यहाँ
दुआ को उठने वालो हाथो मैं भी खंजर हे


Tuesday, March 15, 2016

jab se dekhaa tu_mHe toh khuda kar chale

Ek ghazal behr 212/212/212/12 kii neev par

जब से देखा तुम्हे तो खुदा कर चले 
ग़म तुम्हे छू न पाये दुआ कर चले 

जिस्म से रूह तक तुम ही तुम हो गये 
इश्क़ में खुद को हम क्या से क्या कर चले 

 बेखुदी में कहीं उठ गये जो  कदम 
यूँ हुआ तुम पे खुद को फ़ना कर चले 

बात होती रही  चाँद की जब कभी 
नाम ले कर तेरा  बस वफा कर  चले 

जब हुआ सामना  तेरे हुस्न से 
गुफ्तगू का सभी सिलसिला कर चले 

क्यों न हासिल हुआ नूर तुमसा हमें 
चाँद तारे सभी यह गिला  कर चले 

फिर यही तय हुआ महजबीनो में कुछ  
सब तेरे हुस्न को आईना कर चले 

है ग़ज़ब नूर  तू चांदनी जल गई 
हम तुम्हे चाहने की खता कर चले 

कोई तुमसा  नहीं  इस जहाँ मैं कहीं 
हम दिलों जान तुम्ही पे फ़िदा कर चले 

ज़िन्दगी जब मेरी चोट खाती रही 
तब्बसुम को तेरे हम शिफा कर चले 

हम तरसते रहे बस मिलन के लिए 

फ़ासिले ज़िन्दगी को कज़ा कर चले 

jab se dekhaa tu_mHe toh khuda kar chale 
gham tumHe chhoo na paaye du_aa kar chale 

Jism se rooh tak tum hee tum ho gaye 
Ish^q men khud ko ham kyaa se kyaa kar chale

Be_khudii me.n kahii.n uth gaye jo kadam 
Yu.n hu_aa tum pe khud ko fanaa kar chale 

Baat hotii rahi chaa.nd kii jab kabhi 
Naam le kar tera bas vafaa kar chale 

Jab hu_aa saamana jo tere hus^n se 
Guf^tagoo ka sabhi silsila kar chale 

Kyu.n na haasil hu_aa noor tum sa hame 
Chaa.nd taare sabhi yeh gilaa kar chale 

pHir yahi tay hu_a mehjabeeno me.n kuchh 
Sab tere hus^n ko aaiinaa kar chale 

Hai gHazab noor tuu chaa.ndani jal gayi 
Ham tumHe chaahne ki khata kar chale 

Koi tum sa nahii is jahaa.n me.n kahii.n 
ham Dil-o-jaa.n tumhii par fida kar chale 

Zindagi jab meri chout khaati rahi 
Tabbasum ko tere ham sifaa kar chale 

Ham taraste rahe bas Milan ke liye 
Faasile zindagi ko kaza kar chale


"manu" -Manish acharya