अश्क़ गिरते रहे मेरी निगाहो से बरसात की तरह
वक़्त मिलता रहा मुझसे जब भी बुरे हालात की तरह
जाने कब वो हो गए बेवफा मुझ से हमनशीं मेरे
दिल में संभाला था मैंने जिन को जज़बात की तरह
Ashq girte rahe meri nigaaho.n se barsaat ki tarah
वक़्त मिलता रहा मुझसे जब भी बुरे हालात की तरह
जाने कब वो हो गए बेवफा मुझ से हमनशीं मेरे
दिल में संभाला था मैंने जिन को जज़बात की तरह
Ashq girte rahe meri nigaaho.n se barsaat ki tarah
Vaqt milta raha mujhse jab bhi bure haalat ki tarah
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