मुझे ज़िन्दगी से कुछ भी गिला नहीं
सिवा अश्कों के कुछ भी मिला नहीं
महोब्बत बेपनाह की थी उसने मगर
मिला वफाओका कुछ भी सिला नहीं
उसने दिल के गुलशन मै प्यार बोया था
पर फूल जैसा कुछ भी खिला नहीं
उसे इन्तज़ार था तेरे आने का इतना
वोह चौखट से अब तक हीला नहीं
मौत आ गयी लेने वही खड़े खड़े
आँखों का कोना हुआ गिला नहीं
तेरी महोबत की ही वो खुमारी थी
आशिक किसी को ऐसा मिला नहीं
---मनीष
सिवा अश्कों के कुछ भी मिला नहीं
महोब्बत बेपनाह की थी उसने मगर
मिला वफाओका कुछ भी सिला नहीं
उसने दिल के गुलशन मै प्यार बोया था
पर फूल जैसा कुछ भी खिला नहीं
उसे इन्तज़ार था तेरे आने का इतना
वोह चौखट से अब तक हीला नहीं
मौत आ गयी लेने वही खड़े खड़े
आँखों का कोना हुआ गिला नहीं
तेरी महोबत की ही वो खुमारी थी
आशिक किसी को ऐसा मिला नहीं
---मनीष